NSE ने कोलैटरल नियम किए सख्त: YES Bank, Adani Power समेत 1,010 से अधिक शेयरों पर होगा असर


 

NSE ने F&O segment में, विशेष रूप से खुदरा व्यापारियों के लिए जोखिम को कम करने के उद्देश्य से सीधे नियम पेश किए हैं।

 

NSE ने कोलैटरल से जुड़े नियमों को कड़ा कर दिया है, जिसके चलते 1 अगस्त से 1,730 शेयरों की सूची में से 1,010 शेयर हट जाएंगे। इसका मतलब यह है कि ट्रेडर्स और कारोबारी भविष्य में सिर्फ 720 शेयर ही गिरवी रखकर पैसे जुटा सकेंगे।

हाल ही में NSE ने मार्जिन फंडिंग को लेकर बड़ा फैसला किया है। NSE ने मार्जिन फंडिंग के लिए गिरवी रखे जाने वाले शेयरों की सूची में बड़ी कटौती की है।

NSE के new circular के अनुसार, केवल ऐसे स्टॉक को ही कोलैटरल सूची में शामिल किया जाएगा, जिनमें पिछले 6 महीनों के दौरान 99% सत्रों में ट्रेडिंग देखी गई है और उनकी प्रभाव लागत यानी लेनदेन को पूरा करने की लागत एक लाख के ऑर्डर आकार पर 0.1% से अधिक नहीं है।

इन नियमों के आधार पर Adani Power, Yes Bank, Suzlon, HUDCO, Bharat Dynamics, Bharti Hexacom, IRB Infra, NBCC, Paytm, Inox Wind, JBM Auto समेत कुल 1,010 शेयर सूची से बाहर हो जाएंगे।

 

मकान, प्लॉट, कार और सोने के साथ-साथ स्टॉक भी ऐसी संपत्ति है जिस पर लोन मिल सकता है। मार्जिन फंडिंग या मार्जिन ट्रेडिंग सुविधा में, ब्रोकर शेयर ट्रेडिंग के लिए ट्रेडर के पास पहले से मौजूद शेयरों के बदले में अल्पकालिक लोन देते हैं।

 

Banks, financial institutions या कोई भी ऋणदाता दिए गए ऋण को सुरक्षित करने के लिए एक Asset को संपार्श्विक के रूप में रखते हैं ताकि Lone का भुगतान न करने की स्थिति में इस asset को बेचकर पैसा वसूल किया जा सके।

 

Market पर निर्णय के Benefits  और प्रभाव

नए फैसले के बाद अब फंडिंग से जुड़े जोखिम कम हो जाएंगे, क्योंकि नियमों के लागू होने के बाद लिस्ट में ऐसे शेयर आ जाएंगे जिनकी लिक्विडिटी काफी ज्यादा है और जो मजबूत शेयर माने जाते हैं।

नए नियमों के बाद क्लियरिंग कॉरपोरेशन के पास शेयर गिरवी रखने की प्रक्रिया प्रभावित होगी क्योंकि कॉरपोरेशन अब पहले की तुलना में कम शेयर स्वीकार करेगा

Margin trading से ट्रेडर और ब्रोकरेज हाउस दोनों को फायदा होता है। ट्रेडर के पास कम पैसे होने के बावजूद वह बड़ी डील कर सकता है क्योंकि ब्रोकर उसे अतिरिक्त फंड देने के लिए तैयार रहते हैं। साथ ही, ब्रोकर को ब्याज के रूप में अतिरिक्त आय भी मिलती है।

 

गिरवी रखने के लिए पात्र शेयरों में कमी:

गिरवी रखने के लिए पात्र शेयरों की सूची में उल्लेखनीय कमी की गई है। इससे व्यापारियों के लिए F&O या इंट्राडे ट्रेड के लिए गिरवी रखे गए शेयरों को संपार्श्विक के रूप में इस्तेमाल करने की क्षमता सीमित हो जाएगी। 

मौजूदा गिरवी रखे गए स्टॉक के लिए रूपरेखा:

जिन व्यापारियों ने पहले ही अपने स्टॉक गिरवी रख दिए हैं, उनके लिए NSE ने एक रूपरेखा तैयार की है, जिससे उन्हें समय-समय पर इन स्टॉक को भुनाने में मदद मिलेगी। इससे निवेशकों को अचानक व्यवधान के बिना नए नियमों के साथ तालमेल बिठाने के लिए कुछ समय मिल जाता है। शेष 720 स्टॉक को गिरवी रखने के लिए पिछले छह महीनों में 99% दिनों में कारोबार किया जाना चाहिए।

स्टॉक को हटाना:

जो स्टॉक इस मानदंड को पूरा नहीं करते हैं, उन्हें 1 अगस्त से संपार्श्विक सूची से हटा दिया जाएगा।

 

निष्कर्ष:

NSE के इस फैसले का निस्संदेह खुदरा व्यापारियों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। अब अतिरिक्त मार्जिन हासिल करने के लिए पसंदीदा शेयरों का उपयोग करने की क्षमता सीमित हो जाएगी। जबकि एनएसई का लक्ष्य F&O segment में घाटे को कम करना है, लेकिन इसका तत्काल परिणाम खुदरा व्यापारियों पर नकारात्मक प्रभाव है।


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